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अगर स्वस्थ्य विभाग की पिछली कार्यवाही में टोकन नोट allowed करती तो आज बच्चे की मौत नहीं होती यदि स्वस्थ्य विभाग प्राइवेट अस्पतालों में मानक के अनुरूप डॉक्टर और पारामेडीकल स्टाफ की तैनाती नहीं करवा पाती है तो उसके रहने का मतलब ही क्या है | जिले भर में फिर से in अस्पतालों के खिलाफ सघन चेकिंग की जरूरत है तभी स्वस्थ्य सेवा सुधरेगी |
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सिद्धार्थनगर। विकास भवन से महज दो सौ मीटर की दूरी पर अवैध रूप से संचालित हो रहे अस्पताल में ऑपरेशन के बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया। मां की हालत नाजुक है।
मामले की शिकायत जोगिया कोतवाली क्षेत्र के कपिया मिश्र गांव निवासी पीड़ित परशुराम ने जिलाधिकारी से की तो स्वास्थ्य महकमे की टीम अस्पताल पर छापा मारने के लिए धमक पड़ी। तब तक अस्पतालसंचालिका को भनक लगी और उसने तत्काल भर्ती मरीजों को इधर-उधर कर दिया। वहीं, शिकायतकर्ता की बहू को एक निजी अस्पताल में भेज दिया, जहां देखते ही संचालक ने भर्ती करने से मना करते हुए जिला अस्पताल भेजा।
लगभग तीन घंटे चले हंगामे के बीच एसडीएम सदर और सीएमओ की मौजूदगी में अस्पताल को सील कर दिया गया। साथ ही टीम गठित करके अस्पताल संचालन में शामिल लोगों की जांच करके केस दर्ज कराने के निर्देश दिए गए।
जोगिया कोतवाली क्षेत्र के कपिया मिश्र गांव निवासी परशुराम के मुताबिक, उनकी बहू कुसुम (22) पत्नी सुग्रीव का प्रसव होना था। वह उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नौगढ़ ले गए, जहां से जिला अस्पताल में प्रसव कराने के लिए भेजा गया।
जिला अस्पताल के चिकित्सक ने स्थिति गंभीर देखकर गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। वहां जाने के लिए रुपये का इंतजाम कर रहा थे कि तभी आशा मीरा देवी व संतोष नाम का युवक मुझे बिना बताए परसा शाह आलम में संचालित होने वाले लाइफ हॉस्पिटल लेकर चल गए।
उसमें भर्ती कर दिए और बिना मुझे बताए ही 27 अक्तूबर को अस्पताल के लोगों ने ऑपरेशन कर दिया। इससे बच्चे की मौत हो गई।
देखा गया तो बच्चे का शरीर काला पड़ा हुआ था। इसमें इनकी घोर लापरवाही थी। दवा और ऑपरेशन के नाम पर 63 हजार रुपये बिल वसूला गया।
उल्टी-सीधी दवा देने के कारण बहू की मानसिक स्थिति भी बिगड़ गई और वह गंभीर बीमार हो गई। इसमें अस्पताल संचालक और डॉक्टर की घोर लापरवाही है।
इस मामले में पीड़ित ने सुबह जैसे ही जिलाधिकारी से मिलकर शिकायत की। उनके निर्देश पर दो डिप्टी सीएमओ, सीएमओ और एसडीएम सदर मौके पर पहुंचे। जांच में अवैध रूप से संचालित होने वाले अस्पताल को सील कर दिया।
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