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मुख्यालय स्थित सनई चौराहे पर खुले अस्पताल भी हैं चर्चा में
Special Correspondent
जिले में स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही के चलते अवैध क्लिनिक सेंटरों और नर्सिंग होम की बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। शोहरतगढ़, पकड़ी , बभनी , कठेला ,बांसी, इटवा और डुमरियागंज जैसे क्षेत्रों में धड़ल्ले से बिना लाइसेंस और बिना रजिस्ट्रेशन के मेडिकल सेंटर संचालित हो रहे हैं। हाल ही में इटवा के बढ़या चौराहे पर एक अवैध क्लिनिक में इलाज के दौरान एक गर्भवती महिला की मौत ने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि CMO और जिले के नोडल अफसर इन गतिविधियों से अनजान बने हुए हैं, जबकि जिले के कोने-कोने में अवैध क्लीनिकों , अल्ट्रा साउंड सेंटरों , फिजिओथेरेपी सेंटर की मौजूदगी किसी से छिपी नहीं है। सूत्रों की मानें तो ये क्लीनिक न केवल मामूली इलाज कर रहे हैं, बल्कि ऑपरेशन जैसे गंभीर कार्यों में भी लगे हुए हैं। और यह सब अनुभव के नाम पर किया जा रहा है—मरीजों की जान से खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की यह उदासीनता अब केवल विभागीय लापरवाही नहीं, बल्कि कानून के उल्लंघन और भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा कर रही है। सूत्र बताते हैं कि सुविधा शुल्क लेकर कई जिम्मेदार अधिकारी इन अवैध क्लीनिकों को संरक्षण दे रहे हैं।
गौरतलब है कि कुछ माह पूर्व बांसी कस्बे में एक अवैध क्लीनिक को सील किया गया था, मोहाना क्षेत्र में एक अवैध अल्ट्रा साउंड सेंटर की जांच हुई लेकिन इसके बावजूद न ही कार्रवाई में कोई तेजी आई, न ही जिले में अवैध क्लीनिकों की संख्या में कोई कमी।
सवाल उठता है कि जब ज़मीनी हकीकत इतनी स्पष्ट है, तो क्या CMO और नोडल अफसर आंखें मूंदे बैठे हैं, या जानबूझकर अनजान बने हुए हैं? अगर किसी उच्चस्तरीय जांच टीम को जिले में भेजा जाए तो स्वास्थ्य विभाग के कई चेहरों से नकाब उतरना तय है।
इस पूरे मामले में सबसे अहम जिम्मेदारी CMO और नोडल अफसर की बनती है। जनता अब यह जानना चाहती है कि आखिर कब तक जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे रहेंगे और कब जिले को अवैध चिकित्सा कारोबार से मुक्त कराया जाएगा।
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