पंचायतें ही हमारे राष्ट्रीय जीवन की है रीढ़

जे पी गुप्ता

सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विभाग की ओर से रविवार को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस का आयोजन कर ग्रामीण भारत की प्रगति में पंचायती राज की उपयुक्तता पर व्याख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ लोक प्रशासन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सुनीता त्रिपाठी के स्वागत वक्तव्य से हुआ।

उन्होंने कहा भारत में लोकतंत्र का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि ग्रामीण जनता का शासन से कितना प्रत्यक्ष एवं सजीव संपर्क स्थापित हो जाता है। ग्रामीण भारत के लिए पंचायती राज एकमात्र उपयुक्त योजना है। कार्यक्रम की अध्यक्षता इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सच्चिदानंद चौबे द्वारा की गई। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि 24 अप्रैल 1993 का दिन सत्ता के विकेंद्रीकरण की दिशा में ऐतिहासिक अवसर था, जब सत्ता को जमीनी स्तर तक पहुंचाया गया।

इसलिए वर्ष 2010 से इसी दिन को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाते हैं। राजनीति शास्त्र विभाग कि सहायक आचार्य डॉ सरिता सिंह ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि गांवों का सर्वांगीण विकास पंचायतों की सफलता के द्वारा ही संभव है। लोक प्रशासन विभाग के सहायक आचार्य डॉ रवि कांत शुक्ल मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए पंचायतों के इतिहास तथा वर्तमान में उसकी प्रासंगिकता के बारे में बताया कि विभिन्न चुनौतियां और विषम परिस्थितियों के बीच देश की पंचायतें बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं, कोरोना काल में भी पंचायतों ने अपने दायित्वों का निर्वाह किया।

डॉ अरविंद कुमार रावत ने कहा कि पंचायतों में जो ई-गवर्नेन्स की शुरुआत की गई है। वह पंचायतों के सशक्तिकरण में मील का पत्थर साबित होगी। इस दौरान डॉ यशवंत यादव, डॉ प्रदीप पाण्डेय, डॉ हरेन्द्र शर्मा, डॉ हृदयकान्त पाण्डेय, डॉ अमित कुमार साहनी, डॉ देवबख़्स सिंह आदि उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संचालन डॉ रवि कांत शुक्ल एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ अरविंद कुमार रावत ने किया।

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