गर्भवती को पोषण की राह दिखाने में मददगार बनी पीएमएमवीवाई

जनवरी 2017 से अब तक 68702 गर्भवती का हुआ योजना के तहत पंजीकरण

पहली बार गर्भवती होने पर मिलता है योजना के तहत लाभ

kapilvastupost reporter

सिद्धार्थनगर। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) पहली बार गर्भवती होने वाली महिलाओं को पोषण की राह दिखाने में मददगार बनी है। नौगढ़ क्षेत्र के पलिया निधि गांव की संगीता यादव के लिए तो यह योजना वरदान साबित हुई, जिन्होंने योजना के पैसे से पोषक सामग्री का सेवन कर शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाई और सामान्य प्रसव से स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया।

इन्हीं की तरह जिले में जनवरी 2017 से अब तक 68702 गर्भवती को योजना का लाभ देते हुए पोषण की सही राह दिखाई जा रही है।
संगीता यादव बताती हैं कि फरवरी 2018 में वह गर्भवती हुई। इसके बाद आशा कार्यकर्ता संगीता की मदद से नौगढ़ पीएचसी पर समय-समय पर जांच के साथ पीएमएमवीवाई योजना का लाभ दिलाने के लिए पंजीकरण कराया गया।

जांच में उनके शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम निकली जिसे लेकर वह चिंतित थी, लेकिन पीएमएमवीवाई योजना के तहत उन्हें मां बनने के पहले दो किस्त में तीन हजार रुपये दिये गये। इस रुपये का उपयोग उन्होंने पोषक सामग्री जैसे दूध, पनीर, सोयाबीन, राजमा, हरी सब्जी और फल इत्यादि खाने में किया।

इसका फायदा यह रहा कि उनके शरीर में खून की मात्र नौ से बढ़कर 11 प्वाइंट हो गयी। इसके बाद उन्होंने चार अक्टूबर 2018 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) नौगढ़ में सामान्य प्रसव से स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। उन्होंने बताया कि प्रसव हो जाने के बाद उन्हें तीसरी किस्त के रूप में दो हजार रुपये मिले। इसका भी उपयोग उन्होंने पोषण युक्त खाद्य सामग्री के सेवन में किया।

पोषक तत्व लेने से मजबूत होता है भ्रूण

योजना की जिला समन्वयक वर्तिका बताती हैं कि गर्भावस्था में हरी-पत्तेदार सब्जी, पर्याप्त मात्रा में दाल, उबला अनाज, गुड़ व चने का सेवन शरीर को पोषण देता है। इसके साथ पहले तीन माह तक फोलिक एसिड व तीसरे से नौंवे माह तक आयरन फोलिक एसिड के सेवन से भ्रूण की मजबूती होती है व खून की कमी दूर होती है। बच्चे के जन्म के बाद से छह माह तक आयरन फोलिक एसिड का सेवन आयरन की कमी को दूर करता है और दूध की मात्रा को भी बढ़ाने में मददगार है।

गर्भ में बच्चे को आहार मिलना जरूरी


नौगढ़ क्षेत्र के महदेवा बाजार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की सीएचओ प्रियंका बताती हैं कि गर्भवती को दूसरे व तीसरे माह में एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाती है ताकि पेट में कीड़े हों तो मर जाएं और बच्चे तक पौष्टिक आहार आसानी से पहुंच सके। पेट में कीड़े होने से बच्चे को आहार नहीं मिल पाता है, जिसका परिणाम होता है कि जन्म के बाद बच्चा मानसिक व शारीरिक दोनों रूप से अस्वस्थ रहता है।

गर्भवती को दो गुना पोषण मिलना जरूरी

जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र कुमार बताते हैं कि गर्भकाल में महिला को डेढ़ से दो गुना पोषण की जरूरत होती है, क्योंकि गर्भ में पल रहे बच्चे को मां के खानपान से ही पोषण मिलता है। अगर गर्भवती पोषण सामग्री का सेवन नहीं करेगी तो बच्चा कुपोषित पैदा होगा। पोषण न मिलने से जच्चा-बच्चा दोनों बीमार रहते हैं और दोनों पर खतरा रहता है।


पीएमएमवीवाई के तहत पहली बार गर्भवती होकर मां बनने तक पांच हजार रुपये की राशि तीन किस्तों में दी जाती है। इस राशि को पोषण युक्त सामग्री के सेवन के लिए दिया जाता है। आशा व एएनएम से सम्पर्क कर योजना का लाभ लिया जा सकता है।
डॉ. एके आजाद, नोडल अधिकारी, पीएमएमवीवाई

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