सिद्धार्थनगर : उसका बाजार थाना क्षेत्रांतर्गत पकड़ी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथावाचक अच्युत रामानुजाचार्य ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया। श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण-रुक्मणि का वेश धारण किए बाल कलाकारों पर पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।
महिलाओं ने विवाह के मंगल गीत गाए। प्रसंग में आचार्य ने कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी की अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया।
रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था।कहा कि रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया।
तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा।
कहा कि तब युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मी को पराजित करके दंडित किया। तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया।
भागवत आरती में कथा के मुख्य यजमान डा. रामसेवक त्रिपाठी सहित आचार्य अवधेश नारायण द्विवेदी, मार्कंडेय द्विवेदी,उर्मिला त्रिपाठी,शुभा त्रिपाठी,पवन त्रिपाठी ,पंकज त्रिपाठी , अनुराधा , किशन ,अनिल पाठक ,नीलम ,विनीता ,प्रवीण ,सृजन, डा. मानवेंद्र पाल ने आरती उतारी।