सिद्धार्थनगर। शिक्षक समाज की समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त करता है। उक्त बातें उत्तर प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती रजनी तिवारी ने बुधवार को सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु में शिक्षा मंथन एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की चुनौतियों के समाधान के लिए शिक्षक को हमेशा तत्पर रहना चाहिए। कोई भी जब नई व्यवस्था लागू होती है तो समस्याए और चुनौतियां आती हैं। जिम्मेदार शिक्षक एवं शिक्षण संस्थाओं तथा शिक्षा से जुड़े हुए अधिकारियों की यह नैतिक जिम्मेदारी होती है कि समय रहते हो समस्याओं का समाधान कर लिया जाए।
लेकिन इसमें सबसे अधिक भूमिका शिक्षकों की होती है ।क्योंकि सीधे विद्यार्थियों से जुड़े होते हैं और विद्यार्थियों की मूलभूत समस्याओं को पहचानते हैं। इसलिए शिक्षकों को खुलकर राष्ट्रीय शिक्षा नीतिसे संबंधित आने वाली समस्याओं से अपने संस्था प्रमुख और संबंधित व्यक्तियों को अवगत कराया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सेमेस्टर प्रणाली है ।स्वाभाविक है कि हर सेमेस्टर के उपरांत परीक्षाएं होती हैं परीक्षाओं से थोड़ी समस्या जरूर बढी है लेकिन परीक्षाएं विद्यार्थी के जीवन को तरासने का सबसे अच्छा विकल्प है।
उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में अन्य विश्वविद्यालयों की अपेक्षा अग्रणी भूमिका में है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।
इसलिए शिक्षण संस्थाओ को गंभीरता के साथ व्यवसायीक पाठ्यक्रमो को लागू करें और विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के अध्ययन के साथ-साथ उन्हें कौशल विकास के रूप में प्रशिक्षित करें।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो हरि बहादुर श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन बड़ी चुनौती है। लेकिन दृढ़ इच्छा शक्ति से इसे सफल बनाया जा रहा है।
अधिष्ठाता कला संकाय प्रोफेसर हरीश कुमार शर्मा ने सम्बोधित किया। बस्ती मंडल के संबंध महाविद्यालयों की प्रगति रिपोर्ट क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी प्रोफेसर अश्वनी कुमार मिश्रा तथा आभार ज्ञापन कुलसचिव डॉ अमरेंद्र कुमार सिंह ने दिया।
स्वागत भाषण प्रोफेसरों सौरभ ने तथा कार्यक्रम का संचालन डॉ शिवम शुक्ला ने किया।