सरदार बल्लभ भाई पटेल सिविल सेवा के थे प्रबल समर्थक

सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में नागरिक सेवा दिवस का हुआ आयोजन

जे पी गुप्ता

सिद्धार्थनगर। आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु, के लोक प्रशासन विभाग में बृहस्पतिवार को “राष्ट्रीय नागरिक सेवा दिवस” का आयोजन कर देश की प्रगति में सिविल सेवा के योगदान पर व्यख्यान आयोजित किया गया। विशेषग्यों ने नागरिक सेवाओ पर विस्तृत प्रकाश डाला।

कार्यक्रम का शुभारंभ लोक प्रशासन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सुनीता त्रिपाठी के स्वागत वक्तव्य से हुआ। उन्होंने कहा कि जो युवक सिविल सेवा को कैरियर के रूप में अपना लेते है उनको राष्ट्र निर्माण में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता अधिष्ठाता कला संकाय प्रोफेसर हरीश शर्मा द्वारा की गई।

उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा की नागरिक सेवा वह सेवा है जो देश की सरकार के लोक प्रशासन के लिए जिम्मेदार है। यह लोक प्रशासन की रीढ़ की हड्डी के रूप में जाना जाता है। प्राचीन इतिहास विभाग की अध्यक्ष डॉ.नीता यादव ने ब्रिटिश शासन एवं वर्तमान समय में सिविल सेवकों की भूमिका में परिवर्तन को स्पस्ट किया।

इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सचिदानंद चौबे ने इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्र की एकता और अखंडता में सिविल सेवकों के योगदान की चर्चा की। अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ हृदय कांत पाण्डेय ने इस अवसर पर बोलते हुए विद्यार्थियों को राष्ट्र के प्रति आने कर्तव्यों के पालन का संकल्प लेने की बात कही।

लोक प्रशासन विभाग के सहायक आचार्य डॉ रवि कांत शुक्ला मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए नागरिक सेवा के इतिहास तथा वर्तमान में उसकी प्रसांगिकता के बारे में बताया। नागरिक सेवाएं किस प्रकार से वर्तमान में पर्यावरण संरक्षण, जल सरंक्षण, ऊर्जा सरंक्षण, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास से सम्बंधित विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं को क्रियान्वित करती हैं।

इनके द्वारा किये गए असाधारण और असम्भव कार्यो को मान्यता देने के लिए लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए ऐसे अधिकारियों को पुरस्कृत जाता है। डॉ अरविन्द कुमार रावत ने कहा कि हर साल लगभग एक हजार पदों के लिए लाखों उम्मीदवार भारतीय सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते की सिविल सेवा वह स्तंभ है जिससे कि सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों और नियमो को सुचारू रूप से चलाने का भार होता है।

इस अवसर पर नेहा मिश्रा, रूपा शुक्ला, ऋषभ शुक्ला, प्रियंका यादव आदि नेविचार व्यक्त किये। इस दौरान डॉ. यशवंत यादव, डॉ. सरिता सिंह, डॉ. शरदेन्दु त्रिपाठी, डॉ. प्रदीप पांडेय आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन रवि कांत शुक्ल एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अरविंद कुमार रावत ने किया।

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