हफ्ते भर पहले सीज किये गए मानक विहीन फर्जी अस्पताल फिर से चालु जिम्मेदारों की मनमर्जी पर उठ रहे गंभीर सवाल

फर्जी तरीके से चल रहे 3 अस्पताल व 1 अल्ट्रासाउंड मशीन को किया गया था सील जो अब फिर से चालू हो गए हैं इनके चालू होने से क्षेत्र में छापामारी की कार्यवाही पर सवालिया निशान बन गए हैं कार्यवाही को लेकर चर्चा का बाज़ार गरम हैं  |

हर महीने होने वाले छापेमारी की कार्यवाही के बाद भी शोहरतगढ़ सी एच सी अंतर्गत 1 दर्जन से ज्यादा फर्जी अस्पताल और लगभग 50 की संख्या में फर्जी मेडिकल स्टोर वर्षों से चल रहे हैं जिस पर कार्यवाही नहीं हो रही है अधिकार क्षेत्र अंतर्गत सैकड़ों  डॉक्टर बिना डिग्री के प्रमुख चौराहों गांव की गलियों में इलाज कर रहे हैं |

राजेंदर यादव / सिद्धार्थ नगर  

शोहरतगढ़ तहसील क्षेत्र में चल रहे अवैध अस्पताल और अल्ट्रासाउंड को लेकर शोहरतगढ़ क्षेत्र में मानक विहीन अस्पतालों और बिना डिग्री इलाज करने वाले डॉक्टरों की भरमार है पिछले हफ्ते शासन के आदेश पर तहसील क्षेत्र में स्थित अस्पतालों और क्लिनिक्स की जांच की गयी थी जिसमें कई फर्जी अस्पताल व अल्ट्रासाउंड को सील कर दिया गया था |

तीन अस्पताल और एक अल्ट्रासाउंड सेंटर को सील किया गया था । जिसमें जनहित अस्पताल एण्ड फ्रैक्चर क्लीनिक ,फातमा हेल्थ केयर खुनुवा ,चार्ल्स एण्ड चार्ली क्लीनिक को सील किया गया और मिश्रा क्लिनिक को नोटिस दिया गया था । शोहरतगढ क्षेत्र में जांच होने से खलबली मच गई थी | आम जनता में अच्छे डिग्री वाले डॉक्टरों और मानक अनुरूप अस्पताल को लेकर खुश हुवे थे | लेकिन आम जनता में ख़ुशी की यह लहर जादा दिनों तक नहीं टिक पाई मानक विहीन अस्पताल और बिना डिग्री के डॉक्टर फिर से सक्रिय हो गए हैं |

रिपोर्टर द्वारा चिकित्साधीक्षक डॉ पी के वर्मा से संपर्क करने पर और सीज किये गए अस्पतालों के फिर से खोले जाने पर सवाल पुछा इस पर डॉ वर्मा ने बताया कि सबने online करवा लिया है अब सब कुछ ठीक है |

शोहरतगढ़ सी एच सी के चिकित्साधीक्षक डॉ पी के वर्मा ने पत्रकार को गुमराह किया लेकिन महोदय से कौन बताये कि क्या किसी मामले में online कुछ करवा देने से वह प्रमाण पत्र मान लिया जाता है क्या पहले सीज किये गए अस्पतालों के पास वैद्द प्रमाण पत्र स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किये गए थे |

जनपद में फर्जी मानक विहीन अस्पतालों की बाढ़ सी आ गयी है फर्जी अस्पतालों पर सही इलाज के अभाव में हो रही मृत्यु चिंता का विषय है लेकिन जब कार्यवाही की बात आती है तो यह तय नहीं हो पाता है कि इसके लिए अधिकारी जिम्मेदार है या अस्पताल संचालक ?

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