विभिन्न प्रतियोगिताओं में स्थान पाने वाले छात्र-छात्राओं को हिन्दी दिवस पर कुलपति ने दिया प्रमाण पत्र
kapilvastupost reporter
सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर बुधवार को हिंदी दिवस समारोह एवं हिंदी पखवारा के समापन अवसर पर कुलपति प्रोफेसर हरि बहादुर श्रीवास्तव ने छात्र छात्राओं को विभिन्न प्रतियोगिताओं में स्थान पाने के उपरांत प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए कहा की प्रतियोगिताओं एवं विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का शिक्षण संस्थानों में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ज्ञान के प्रसार में संगोष्ठी भी बड़ा माध्यम होता है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी अपनी गरिमामय उपादेयता है। पाठ्यक्रम के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के शिक्षणेत्तर कार्यक्रम छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। विश्वविद्यालय की उन्नति और विकास में इस प्रकार के आयोजन का रचनात्मक योगदान होता है। हमारा निरंतर प्रयास होगा कि यह संस्थान नालेज गेन करने के साथ-साथ पर्सनालिटी डेवलपमेंट का भी एक प्रभावी मंच बनकर समाज के सामने उभरे। उन्होंने हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी की महत्ता पर बोलते हुए कहा कि हर देश की अपनी भाषा होती है। दुर्भाग्य से भारत की अपनी कोई राष्ट्रभाषा नहीं है। जबकि स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व और संविधान सभा में हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने को लेकर कुछ राष्ट्रवादी दृष्टि वाले सदस्यों का प्रयास महत्वपूर्ण रहा। जिसके कारण ही हिंदी राजभाषा बन पाई। लेकिन धीरे-धीरे हिंदी भाषा की उन्नति और उसका विस्तार हो रहा है। आज पूरे भारतवर्ष में कुछ एक प्रदेशों को छोड़ दिया जाए तो हिंदी भाषा बोली जा रही है। मानसिक संकीर्णता ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने में बड़ी बाधा उत्पन्न की। लेकिन आज पुनः परिस्थितियां हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के अनुकूल है। इसलिए इस दिशा में हर क्षेत्र से प्रयास होने चाहिए। शिक्षण संस्थाओं की भी उस में महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि हिंदी भाषा में अभिव्यक्त के माध्यम से एक-दूसरे को जोड़ने की अपार क्षमता है। हिंदी भारत की न केवल दृष्टि है वरन राष्ट्रीय एकता और अखंडता का परिचायक भी है ।
इस अवसर पर अधिष्ठाता कला संकाय प्रोफेसर हरीश कुमार शर्मा ने कहा कि यह क्षेत्र हिंदी भाषा-भाषी लोगों का क्षेत्र है। हम हिंदी को राष्ट्रभाषा का स्थान दिलाने का प्रयास निरंतर करते रहें। साथ में हिंदी भाषा की शुद्धता और हिंदी भाषा की ज्ञान की पूर्णता भी बहुत आवश्यक है।
इस अवसर पर हिंदी विभाग के डॉक्टर सत्येंद्र दुबे ने अपना वक्तव्य देते हुए कहा की हम भारत के लोग बहुत ही सौभाग्यशाली हैं कि हमारे सामने महापुरुषों और महादिवसों की एक लंबी श्रृंखला दिखलाई पड़ती है ।जिससे हम निरंतर प्रेरित होकर अपने व्यक्तिगत जीवन का उत्थान करते हुए राष्ट्र और समाज के लिए भी अपनी भूमिका का निर्वहन करते रहेंगे। हिंदी दिवस भी उसी यशस्वी परंपरा की श्रृंखला का महत्वपूर्ण अवसर है। यह सभी महत्वपूर्ण दिवस और महापुरुषों का व्यक्तित्व और कृतित्व हमें निरंतर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका को लेकर प्रेरित करता रहता है। हिंदी केवल भाषा ही नहीं है अपितु भारतीय संस्कृति की अभिव्यक्ति की पहचान भी है। इससे पूर्व मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख मंचासीन अतिथि कुलपति प्रोफ़ेसर बहादुर श्रीवास्तव, प्रोफेसर दीपक बाबू मिश्र, वित्त अधिकारी अजय सोनकर, अधिष्ठाता कला संकाय प्रोफेसर हरीश कुमार शर्मा द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम में सरस्वती वंदना कुलगीत एवं राष्ट्रगान संगीत प्रशिक्षक साकेत मिश्रा, निवेदिता श्रीवास्तव एवं विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में लोकगीत नम्रता उपाध्याय, शिवम उपाध्याय, साकेत एवं निवेदिता द्वारा प्रस्तुत किया गया। इससे पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर हरि बहादुर श्रीवास्तव, प्रोफेसर दीपक बाबू मिश्रा, प्रोफेसर हरीश कुमार शर्मा, वित्त अधिकारी अजय सोनकर के द्वारा हिंदी पखवारा में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में स्थान प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर रेनू त्रिपाठी तथा आभार ज्ञापन डॉ जय सिंह यादव ने किया। इस अवसर पर एमबीए विभाग के डॉ मनीष शर्मा, गणित विभाग के डॉ जितेंद्र सिंह, रसायन शास्त्र विभाग के डॉ लक्ष्मण, डॉक्टर नीता यादव, डॉ सुनीता त्रिपाठी, डॉ सच्चिदानंद चौबे, डॉ विनीता रावत, डॉ मनीषा बाजपेई, डॉक्टर देव बक्स सिंह, डॉ कपिल गुप्ता, डॉ रविकांत, डॉ हृदयकान्त, डॉ सरिता, डॉ बन्दना, डॉ यशवंत, डॉ धर्मेंद्र, डॉ अमित, डॉ अरविंद, सतीश जायसवाल सहित विश्व विद्यालय के शिक्षक कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।