निरंतर प्रयास अधिकतम सफलता का आधार है: कुलपति

kapilvastupost reporter

सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर में गुरुवार कोकला संकाय बीए एवं एमए के नवागत छात्र-छात्राओं के इंडक्शन कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो हरि बहादुर श्रीवास्तव ने कहा कि निरंतर प्रयास अधिकतम सफलता का आधार है। सतत प्रयास कठिन से कठिन उद्देश्यों की प्राप्ति सहज बना देती है। धैर्य इसके लिए महत्वपूर्ण है। नियमित कक्षा अध्यापन विद्यार्थी जीवन में ज्ञान अर्जित करने हैं की सबसे बड़ी साधना है। पुस्तक का अनवरत अध्ययन सही अर्थों में ही विद्या है। इसलिए नियमित रूप से पुस्तकालय में बैठकर स्वधय्यन कर असीम ज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन विद्यार्थियों को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि केवल किताबी ज्ञान ही उनके लिए आवश्यक नहीं है, वरन व्यक्तित्व के अन्य आयामों के लिए भी सतत प्रयत्नशील रहना चाहिए। शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञानवान व्यक्ति निर्मित करना नहीं अपितु श्रेष्ठ और उत्तम मनुष्य निर्मित कर समाज में उसकी उपयोगिता और उपादेयता बनाने का भी प्रयास होता है। जिससे समाज और राष्ट्र के लिए उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होसके। किसी संस्थान का विद्यार्थी जितना ही ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा वह संस्थान भी उसी अनुपात में उन्नति की ओर अग्रसर होगा। विद्यार्थी विश्वविद्यालय के अम्बेसडर होते हैं।
इससे पूर्व कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अधिष्ठाता विज्ञान संकाय देवेश कुमार ने कहा कि पुस्तकालय ज्ञान का भंडार होता है। विश्वविद्यालय केवल परंपरागत अध्ययन अध्यापन के लिए नहीं होता अपितु उसकी उपादेयता शोध के वातावरण को सृजित कर शोध के क्षेत्र के विभिन्न आयामों को निर्मित करना होता है। इस अवसर पर कुलानुशासक प्रो दीपक बाबू ने कहा कि विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का होना अनिवार्य होता है। उत्तम आचरण और श्रेष्ट संस्कार विद्यार्थी की वास्तविक पहचान होती है। कार्यक्रम में विषय प्रस्तावना रखते हुए अधिष्ठाता कला संकाय प्रोफेसर हरीश कुमार शर्मा ने कहा कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालय उत्तम और उत्कृष्ट संस्थान होता है। लगन और परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता। दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ सतत प्रयत्नशील विद्यार्थी निश्चित रूप से सफलता प्राप्त करते हैं। इसलिए विद्यार्थियों को प्रथम दिन से उत्तम विद्यार्थी के साथ-साथ उत्तम नागरिक बनने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन डॉ सच्चिदानंद चौबे, आभार ज्ञापन डॉ सुनीता त्रिपाठी एवं संचालन डॉक्टर सत्येंद्र दुबे ने किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के संबंध में प्रो हरीश कुमार शर्मा ने शिक्षणेत्तर गतिविधियों और महिला सुरक्षा के संबंध में, डॉ नीता यादव छात्रावास से संबंधित जानकारी, डॉ सचिदानन्द चौबे ने पुस्तकालय की सुविधा के विषय में, डॉ सुनीता त्रिपाठी ने सांस्कृतिक गतिविधियों के संदर्भ में, डॉ सत्येंद्र दुबे ने एनसीसी विषय में, डॉ.प्रज्ञेस त्रिपाठी ने परिसर संस्कृति के सम्बंध में, डॉ अविनाश प्रताप सिंह ने विद्यार्थियों से परिचर्चा किया। कार्यक्रम में डॉ आभा दिवेदी, डॉअब्दुल हफीज, डॉ बाल गंगाधर, डॉ मुन्नू ,डॉ धर्मेंद्र, डॉ हृदयकान्त, डॉ रविकांत, डॉ मयंक, डॉ यशवंत, डॉ अमित साहनी, डॉ सरिता, डॉ बन्दना, डॉ. रेनू त्रिपाठी सहित शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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