राष्ट्र सिर्फ जमीन, जनसंख्या एवं सरकार नहीं है, बल्कि राष्ट्र एक भावना एवं संवेदना है

kapilvastupost reporter

सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर में स्थापित पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के तत्वावधान में आयोजित स्मृति व्याख्यान “राष्ट्रवाद की अवधारणा” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन शनिवार को किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति, विज्ञानवेत्ता प्रोफेसर राम अचल सिंह रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर हरि बहादुर श्रीवास्तव ने कहा कि पंडित दीनदयाल जी ने एक पुस्तक राष्ट्र चिंतन में लिखा है, कि भारत को समझना है, तो राजनीति एवं अर्थनीति के चश्मे से न देखकर सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखना होगा। उन्होंने कहा है कि राष्ट्र बनाने के लिए एक भूमि विशेष में रहने वाले लोगों के हृदय में उसके प्रति अविचल श्रद्धा का भाव होना आवश्यक है। राष्ट्र केवल नदियों, पहाड़ों या कंकड़ों के ढेर से नहीं बनता, अपितु राष्ट्र के प्रति श्रद्धा का भाव प्रथम आवश्यकता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर राम अचल सिंह ने कहा कि राष्ट्र सिर्फ जमीन, जनसंख्या एवं सरकार नहीं है बल्कि राष्ट्र एक भावना है, संवेदना है। जैसा हम सोचते हैं वैसा हमारा स्वभाव होगा। और इसी को अंगीकार कर हम सांस्कृतिक से राष्ट्र की परिकल्पना कर सकते हैं। उन्होंने कहा है कि राजनीति का आध्यात्मीकीकरण बहुत आवश्यक है इसी के द्वारा सरल, सौम्य व्यक्तित्व भी अत्यंत गूढ़ विचारों का स्वामी हो सकता है। कार्यक्रम की संयोजिका प्रोफेसर मंजु द्विवेदी ने विषय प्रस्तावना में कहा कि मनुष्य मरण धर्मा है, मानव जीवन एक बार मिलता है।

पंडित दीनदयाल जी के आदर्शों को हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए। श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि अगर मुझे दो दीनदयाल जी मिल जाए तो राष्ट्र का नक्शा बदल जायेगा । कार्यक्रम में आये अतिथियों का स्वागत कुलसचिव डॉ अमरेंद्र कुमार सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन अधिष्ठाता कला संकाय प्रोफेसर हरीश कुमार शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संचालन पंडित दीनदयाल शोध पीठ के समन्वयक डॉ सच्चिदानंद चौबे ने किया। कार्यक्रम में प्रो० दीपक बाबू, प्रो० सौरभ, डॉ.सत्येंद्र दुबे, डॉ सुनीता त्रिपाठी, डॉ अखिलेश दीक्षित, डॉ मयंक कुशवाहा, डॉ यसवंत यादव, डॉ वंदना , डॉ सरिता, डॉ रेनू , डॉ आभा , डॉ जय सिंह , डॉ विमल, डॉ अमित, डॉ हरेंद्र, डा प्रदीप, डॉ रक्षा, डॉ दीप्ति, डॉ किरण, डॉ विनीश, डॉ० राजश्री, डा शिवम, डा देव, डा किरन, डॉ जितेन्द्र सिंह एवं समस्त शिक्षक एवं शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक अधिकारी एवं कर्मचारी, छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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