गांधी ने सत्य और अहिंसा के माध्यम से भारत को वैश्विक पहचान दिलाई: कुलपति
kapilvastupost reporter
सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु में रविवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षकों कर्मचारियों एवं छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कुलपति प्रोफेसर हरि बहादुर श्रीवास्तव ने कहा कि महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के माध्यम से भारत को वैश्विक पहचान दिलाई।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का प्रयोग करके शक्तिशाली और क्रूर अंग्रेजों की सत्ता को उखाड़ फेंकने में एक मजबूत साधन के रूप में प्रयोग करके पूरी दुनिया के लिए शांति के माध्यम से अपनी मांगे को पूरा करने का एक सफल उदाहरण पेश किया। गांधीजी अपने इन साधनों का प्रयोग एक शक्ति के रूप में किया। गांधीजी का मानना था। शक्तिशाली व्यक्ति ही क्षमा करने की क्षमता रखता है।
गांधीजी मानव सेवा को सबसे बड़ा धर्म मानते थे। गांधी जी का यह विचार भारत की सनातन धर्म परंपरा को ही अनुप्रमाणित करता है। जिसमे संपूर्ण विश्व के कल्याण की भावना निहित है। महात्मा गांधी का संपूर्ण जीवन व्यक्ति के सामान्य जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आज भी उपयोगी एवं प्रासंगिक है।
प्रो हरि बहादुर श्रीवास्तव ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के व्यक्तित्व कृतित्व पर अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि लाल बहादुर शास्त्री का संपूर्ण जीवन सादगी और ईमानदारी का पर्याय है। उन्होंने अपने संक्षिप्त प्रधानमंत्रित्व काल में बहुत गहरी एवं गंभीर नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। जय जवान जय किसान का उनके द्वारा दिया गया नारा आज भी अत्यंत प्रासंगिक है।
भारत की मूलचित्त में जवान और किसान की भूमिका हमेशा से प्रभावी रही है और इसका महत्व निरंतर बढ़ता जा रहा है। भारत और पाकिस्तान के 1965 के युद्ध में लाल बहादुर शास्त्री का नारा पाकिस्तान को परास्त करने में बहुत ही कारगर हथियार के रूप में काम आया।
भारत में खाद्यान्न संकट आया लाल बहादुर शास्त्री के आह्वान पर भारत के किसानों ने अदम्य साहस और कठिन परिश्रम करके खाद्यान्न के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया ।
कार्यक्रम में अधिष्ठाता कला संकाय प्रो हरीश कुमार शर्मा ने कहा कि महात्मा गांधी का जीवन निरंतर परिश्रम करने और लक्ष्य के लिए अडिग रहते हुए धैर्य के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देने वाला जीवन है। विशेष रुप से विद्यार्थियों मे विश्वास और आत्मबल पैदा करने में महात्मा गांधी के लिए निरन्तर प्रेरणादायी है।
उन्होंने अपनी कार्य क्षमता और शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांगों पर अडिग रहते हुए सामने वाले का हृदय परिवर्तन करने महत्वपूर्ण प्रयोग रहा है। आज संपूर्ण विश्व महात्मा गांधी के विचारों से अनु प्रमाणित हो रहा है। हम सब को भी महात्मा गांधी द्वारा बताए गए सिद्धांतों का पालन करते हुए भारत को परम वैभव की ओर ले जाने के लिए नित नए प्रयास करते रहना चाहिए।
इससे पूर्व महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के चित्र पर प्रो हरि बहादुर श्रीवास्तव, कुलसचिव डॉ अमरेंद्र कुमार सिंह, वित्त अधिकारी अजय सोनकर, परीक्षा नियंत्रक विनीत यादव, वाणिज्य संकाय के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर दीपक बाबू सहित सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने पुष्पांजलि कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
महात्मा गांधी के प्रिय भजनों को संगीत प्रशिक्षक साकेत मिश्रा एवं निवेदिता श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत किया गया। अधिष्ठाता कला संकाय प्रो हरीश कुमार शर्मा और परीक्षा नियंत्रक विनीता यादव ने भी भजन प्रस्तुत किया। आभार ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक डॉ सुनीता त्रिपाठी ने किया। इस अवसर पर शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।