भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली की टीम ने नियांव नानकार में 1638 प्रजाति कालानमक धान की फसल की ली जानकारी
इन्द्रेश तिवारी
शोहरतगढ़। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली की टीम ने नियांव नानकार में 1638 प्रजाति कालानमक धान की फसल की जानकारी ली।
निदेशक डॉ. एके सिंह ने बताया कि ये कालानमक की प्रजाति किसानों की आय को दोगुना करने में मददगार साबित होंगी ।
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि यह प्रजाति की कालानमक पैदावार की मात्रा अन्य कालानमक की प्रजाति से अधिक है। शोहरतगढ़ से उत्तर दिशा का क्षेत्र नेपाल सीमा से सटा है। यह तराई क्षेत्र में आता हैं। यहाँ की मिट्टी कालानमक धान के लिए उत्तम माना जाता है। यहाँ की चावल की खुशबू अन्य क्षेत्रों के कालानमक चावल से दुगनी खुशबू देती है।
यह प्रजाति अन्य कालानमक से 20 दिन पहले ही फसल तैयार हो जाती है। उन्होंने कहा कि शोहरतगढ़ विकास खंड के ग्राम पंचायत सियाव नानकार में पिछेल साल 1638 प्रजाति कालानमक धान की उगाई लगभग 50 एकड़ में की गई थी। जो एक एकड़ में 15 कुन्तल धान की उपज हुई थी। बेहतर परिणाम मिलने से इस साल यहाँ 100 एकड़ इस प्रजाति की कालानमक धान की उगाई की जा रही हैं।
डॉ . मार्कडेय सिंह ने प्रगतिशील किसान तिलक राम, दान बहादुर चौधरी, संजय दूबे, सुरेंद्र दूबे, विजय कुमार दूबे, राजू दूबे, रामदीन चौरसिया, रामू चौरसिया को ऊची जमीन पर इस प्रजाति को पैदा करने के लिए इसकी विषेता बताई। और तकनीकी खेती के लिए जानकारी दी। इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली की टीम के हरिथा वेलोनेड़ी , उपनिदेशक शोध आजमगढ़ शैलेंद्र कुमार सिंह, डा. सर्वजीत, डॉ . प्रवेश कुमार और जिला कृषि अधिकारी सीपी सिंह मौजूद रहे।