शिक्षा मित्रों ने लखनऊ में दिखाई ताकत राज्यमंत्री ने कहा शीघ्र होगा बेहतर भविष्य

sugreem yadav 

विगत तेईस वर्षों से परिषदीय विद्यालयों में सेवा दे रहे उत्तर प्रदेश में लगभग डेढ़ लाख शिक्षा मित्रों ने बीस फरवरी को लखनऊ के रमा बाई अंबेडकर पार्क में अपने मांगों और हितों की रक्षा के लिए एक दिवसीय सम्मान समारोह का आयोजन किया।
प्रस्तावित सम्मान महासम्मेलन को सफल बनाने के लिए शिक्षा मित्रों के विभिन्न संगठनों ने एक होकर इस धरना प्रदर्शन को सफल बनाने के लिए लगभग पंद्रह दिनों तक ब्लॉक वाइस मीटिंग करके लोगों को जोड़ने का काम किया और आयोजन को सफल बनाया।

लाखों की संख्या में शिक्षामित्रों ने बीस फरवरी को रमा बाई अंबेडकर पार्क में इकट्ठा होकर हुंकार भरी। शिक्षामित्रों की मेहनत का असर रहा जीस कारण से पार्क खचाखच भरा रहा | भीड़ देख मंत्री भी गड गद हुवे |

राज्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों के बहकावे में आकर कई शिक्षामित्रों ने पूर्व में हुए चुनाव में भाजपा का विरोध किया था। इसके बावजूद भाजपा सरकार ने उनका मानदेय बढ़ाया। शिक्षामित्र भाजपा सरकार का सहयोग करें। पार्टी और सरकार उनके लिए बेहतर करने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि सपा सरकार की गलत नीति की वजह से शिक्षामित्रों का यह हाल हुआ है। अगर तत्कालीन सरकार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक घोषित करने की बजाय उनके शिक्षकों के वेतन समान कर देती तो आज उनकी ऐसी हालत नहीं होती। वहीं, एमएलसी संजय निषाद ने कहा कि सरकार के साथ रहिए आपकी समस्याओं का समाधान होगा।

प्रदेश भर के शिक्षामित्रों ने सोमवार को यहां रमाबाई अंबेडकर मैदान में महासम्मेलन कर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। शिक्षामित्रों के विभिन्न संगठन एक मंच पर जुटे और सरकार से सुरक्षित भविष्य की मांग की। वहीं, सम्मेलन में पहुंचे केंद्रीय आवासन व शहरी कार्य राज्यमंत्री कौशल किशोर ने शिक्षामित्रों के मानदेय में वृद्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्र व राज्य सरकार के शिक्षा मंत्रियों से बात करने की बात कही। उन्होंने कहा कि अभी तीन बार इसी मैदान में फिर से एकत्र होना है।

बताते चलें कि शिक्षामित्रों ने लगातार अपनी मेहनत के दम पर परिषदीय स्कूल की कमान संभाल रखी है उनकी मेहनत को देखते हुवे उनका मानदेय वर्ष दर वर्ष प्रदेश की पूर्व की सरकारों ने उनका मानदेय बढाया वर्ष 2014 तक उनका मानदेय लगभग तीस हजार रुपये प्रतिमाह तक पहुँच गया था |

वर्ष 2017 में उनके समायोजन को लेकर उनकी अकादमिक उत्कृष्टता पर हाई कोर्ट ने इसे रिजेक्ट कर दिया जिसके बाद से पुनः उन्हें प्रारंभिक मानदेय लगभग दस हज्रार प्रतिमाह पर फिर से कार्य करने को मजबूर कर दिया  | तब से लेकर आज तक शिक्षामित्रों की मांग को पूरा नहीं किया गया |

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