फ़िलिस्तीन के लिए दुआ करे खुदा ही बचा सकता है फिलिस्तीन को
यूनाइटेड नेशंस और अमेरिका की लडाओं और राज करो की नीति शक्तिशाली देशों की मनमानी के कारण फिलस्तीन के साथ सत्तर साल बीत जाने के बाद भी पूरी दुनिया मिलकर इंसाफ नहीं कर पाई ।
यहूदी जो हिटलर की तानाशाही से जान बचाकर भागे थे उनको फिलस्तीन में शरण मिला आज वही यहूदी फिलस्तीनियों को उनके देश से मारकर भगा रहे हैं कब्जा कर रहे हैं और यह पहली बार नहीं, हो सकता है यह आखिरी प्रयास हो ।
Kapilvastupost
वर्तमान समय में इजराइल फिलस्तीन विवाद और युद्ध चल रहा है जिसे समझने के लिए इतिहास के पन्नों को देखना ही होगा तभी हम सत्य और असत्य को समझ सकेंगे |
इसके लिए सबसे पहले हमें जर्मनी के नाजी शासक एडोल्फ़ हिटलर के बारे में जानना होगा कि वह यहूदियों से कितना नफ़रत करते थे और क्यों ?
अडोल्फ़ हिटलर को यहूदियों से नफरत थी क्योंकि वह एक नस्लवादी और यहूदी विरोधी था । उसका मानना था कि यहूदी जर्मनी के लिए एक खतरा थे और उन्हें जर्मनी से बाहर निकाल दिया जाना चाहिए।
हिटलर की नफरत की जड़ें उसके बचपन में ही थीं । वह एक गरीब परिवार में पैदा हुआ था और उसे बचपन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था । उसने यहूदियों को अपनी कठिनाइयों के लिए जिम्मेदार ठहराया।
हिटलर के नफरत को बढ़ावा देने में जर्मनी में मौजूदा यहूदी विरोधी भावनाओं ने भी भूमिका निभाई । 19 वीं सदी में, जर्मनी में यहूदियों के खिलाफ कई तरह के भेदभाव और उत्पीड़न हुए थे ।
हिटलर ने अपने शासन के दौरान यहूदियों के खिलाफ एक अभियान चलाया। इस अभियान के तहत, यहूदियों को जर्मनी से बाहर निकाल दिया गया, उन्हें उनके व्यवसायों और संपत्ति से वंचित कर दिया गया, और कई को मार दिया गया। इस अभियान को “होलोकॉस्ट” के नाम से जाना जाता है।
हिटलर की नफरत की कोई एक वजह नहीं थी । यह कई कारकों का परिणाम था, जिनमें उसके बचपन के अनुभव, जर्मनी में मौजूदा यहूदी विरोधी भावनाएं और उसका नस्लवादी विचारधारा शामिल थीं।
हिटलर की यहूदी विरोधी भावनाओं ने दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत का कारण बना। होलोकॉस्ट एक भयानक नरसंहार था जो कभी नहीं भूलना चाहिए।
यहूदियों को जड़ से मिटाने के अपने मकसद को हिटलर ने इतने प्रभावी ढंग से अंजाम दिया कि दुनिया की एक तिहाई यहूदी आबादी खत्म हो गई। यह नरसंहार संख्या, प्रबंधन और क्रियान्वयन के लिहाज से विलक्षण था। इसके तहत एक समुदाय के लोग जहां भी मिले, वे मारे जाने लगे, सिर्फ इसलिए कि वे यहूदी पैदा हुए थे ।
यहूदियों का नरसंहार 1933 में एडोल्फ़ हिटलर के जर्मनी के चांसलर बनने के तुरंत बाद सुरु हो गया हिटलर ने यहूदियों का उत्पीडन करना सुरु कर दिया | यहूदी व्यापार का बहिष्कार और यहूदी सिविल सेवकों को बर्खास्त करने के साथ सुरु हो गया |
हिटलर ने एक नस्लवादी साम्राज्य बनाया. उसके लिए यहूदी इंसानी नस्ल का हिस्सा ही नहीं थे. यहूदियों को खत्म करने का सिलसिला पोलैंड में खुले ऑशविच कन्सनट्रेशन कैंप से शुरू हुआ था |
यहूदियों के प्रति सुरु हुवे इस युद्ध में 6 साल के दौरान नाजियों ने तकरीबन 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी जिनमें 15 लाख बच्चे शामिल थे हिटलर का मकसद सिर्फ जर्मनी में ही नहीं वरन पूरी दुनिया के कोने कोने में जो भी यहूदी आबाद थे उन सबका का क़त्ल करना चाहता था |
कहानी मध्य पूर्व में बसे फिलस्तीन की जहाँ यहूदी अपनी जान बचाने के लिए शरण ली
नरसंहार से बचने के लिए बड़ी संख्या में यहूदियों ने पलायन करना सुरु कर दिया और धीरे धीरे फिलस्तीन में आकर बसने लगे और जब इनकी अछि खासी जनसँख्या हो गयी तब इन्होने अमेरिका और ब्रिटेन की सहायता से फिलस्तीन की जमीन पर एक स्वतंत्र राष्ट्र की घोषणा कर दी |
यही से इजराइल और फिलस्तीन के बीच रह रह कर छोटे और बड़े युद्ध होने लगे विश्व बिरादरी के दबाव में बीच बचाव के साथ ही मामला शान्त हो जाता था और फिर यह बढ़ जाता था |
फिलस्तीन की जमीन पर 1948 में इजराइल की स्थापना की घोषणा
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को एक यहूदी राज्य और एक अरब राज्य में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को अरब राज्यों ने खारिज कर दिया, और 14 मई 1948 को इज़राइल की स्थापना की गई ।
जिसके अंतर्गत फिलस्तीन की जमीन के तीन टुकड़े किये गए 48 प्रतिशत भू भाग भाग इजराइल को और 42 प्रतिशत जमीन फिलस्तीन को और लगभग 10 प्रतिशत जमीन संयुक्त राष्ट्र संघ के अधीन हो गयी जिसमें मुसलमानों की पवित्र मस्जिद अल अक्सा है |
घोषणा के बाद इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष की सुरुवात जो आज एक पूर्ण रूप से युद्ध में बदल गयी
इज़राइल की स्थापना के बाद से, इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष जारी है। संघर्ष में कई युद्ध हमले और मानवाधिकारों के हनन शामिल हैं।
वर्तमान स्थिति
लगातार होते फिलस्तीन इजराइल संघर्ष में फिलस्तीन जितनी बार हारा है हर बार इजराइल ने उसकी जमीन पर कब्ज़ा बढाया आज फिलस्तीन सिकुड़ते सिकुड़ते महज 12 प्रतिशत की भू भाग पर सिमट गया है |
आज, फिलिस्तीन दो क्षेत्रों में विभाजित है: वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी। वेस्ट बैंक पर इज़राइल का नियंत्रण है, जबकि गाजा पट्टी पर हमास का नियंत्रण है। फिलिस्तीनियों की एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की मांग जारी है, लेकिन इस लक्ष्य को प्राप्त करना अभी भी दूर की कौड़ी है। विश्व बिरादरी ने कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया |
फिलिस्तीन का इतिहास एक जटिल और विवादास्पद है। यह एक क्षेत्र है जो कई संस्कृतियों और लोगों का घर रहा है, और इसने कई संघर्षों का भी गवाह देखा है। फिलिस्तीन का वर्तमान स्थिति अभी भी अस्थिर है, और यह देखने के लिए कि भविष्य क्या है, इसे जाने के लिए लोगो में एक उत्सुकता दिखाई दे रही है कि कैसे एक ताकतवर देश इजराइल ने अपने से कई सौ गुना कमजोर फिलस्तीन को कब विश्व के नक़्शे से गायब करेगा |
इस देश का अब खुदा ही हाफिज है |
इजरायल और फिलिस्तीन युद्ध का अंत अभी भी स्पष्ट नहीं है। दोनों पक्षों के बीच एक स्थायी शांति समझौते तक पहुंचने के प्रयास कई बार हुए हैं, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।
इजरायल और फिलिस्तीन युद्ध के अंत के लिए कई संभावित परिणाम हैं। एक संभावना यह है कि युद्ध जारी रहेगा और दोनों पक्षों के बीच हिंसा जारी रहेगी।
एक अन्य संभावना यह है कि एक स्थायी शांति समझौता होगा जो दोनों पक्षों के लिए स्वीकार्य होगा। एक तीसरी संभावना यह है कि युद्ध एक बड़े संघर्ष में फैल जाएगा जो पूरे मध्य पूर्व को प्रभावित करेगा।
इजरायल और फिलिस्तीन युद्ध के अंत के संभावित परिणाम
युद्ध जारी रहेगा:यह सबसे संभावित परिणाम है। दोनों पक्षों के बीच विश्वास की कमी है, और दोनों पक्षों के पास संघर्ष को समाप्त करने के लिए पर्याप्त शक्ति नहीं है।
एक स्थायी शांति समझौता:यह सबसे वांछित परिणाम है, लेकिन यह सबसे कम संभावना है। दोनों पक्षों को एक समझौते पर पहुंचने के लिए कई कठिन बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता होगी।
एक बड़ा संघर्ष:यह एक संभावित परिणाम है, लेकिन यह अभी भी एक दूर की कौड़ी है। फिलिस्तीन युद्ध को मध्य पूर्व में कई अन्य संघर्षों से जोड़ा जा सकता है, जिससे एक बड़ा संघर्ष हो सकता है।