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गुरु जी की कलम से
खंड विकास कार्यालय बढ़नी परिसर में कुछ लोग सुबह से ही छोटा सा बैग लिए हुए पहुंच जाते हैं और सुबह से लेकर के शाम तक कुछ पंचायत सचिवों के और खंड विकास कार्यालय के बाबू के चारों ओर गणेश परिक्रमा कर अपनी चलती फिरती दुकान से बिल वाउचर निकालकर गिट्टी मोरंग बालू सीमेंट आदि सामान बेच रहे हैं|
बताया जाता है कि ग्राम सभाओं में विकास के लिए जितनी भी चीजों की आवश्यकता होती है उसे रजिस्टर्ड फर्मों से खरीदा जाता है जिसके बिल वाउचर का भुगतान सीधे फर्म के खाते में जाता है विकासखंड बढ़नी में कई ग्राम पंचायत मेंविकास कार्यों में लगे हुए सामानों की आपूर्ति चाहे जहां से होती हो लेकिन सामानो के भुगतान अपने चहेते झोलाछाप दुकानदार के ही खाते में करते हैं|
ठेकेदार के पास भले न हो कोई दूकान, फिर भी उनके झोले में रहता है विकास का सारा सामान फर्जी बिल बाउचर लगाकर हो रहा दना दन भुगतान|
विकास खंड बढ़नी अंतर्गत कई ग्राम पंचायतों में फर्जी बिल बाउचर फीड कराकर लाखों की फर्जी भुगतान होने का मामला जहां सुर्खियों में रहता है। वहीं सूत्रों कि माने तो जांच पड़ताल में पता चला है कि एक ही वित्तीय वर्षों में कई ग्राम पंचायतों ने एक ही टेंडर पर बिना टेंडर बदले ही आधा दर्जन से अधिक फर्म बदल कर लाखों का भुगतान किया जा रहा है।
जो शासनादेश के नियमों के खिलाफ है। वहीं अब सीएम डैश बोर्ड पर अच्छी रैंकिंग हासिल करने के लिए कई ग्राम पंचायतों ने धांधली किया है।
भ्रष्टाचार के मामलों में विकास खंड बढ़नी अक्सर चर्चाओं में रहता है। कुछ वर्षों के अंदर तमाम ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार की पोल परत दर परत निकलकर सामने आई है। कभी बिना काम कराए ही भुगतान का मामला सुर्खियों में रहता है।
जांच बैठती है, कुछ दिन बाद ठंडे बस्ते में कैद हो जाती है। तभी हालात यह है कि जहां भ्रष्टाचारियों की हौसले बुलंद हैं। वहीं अब यह ब्लॉक चर्चित तथाकथित ठेकेदारों का चारागाह बन गया है। ठेकेदारी के बलबूते मनरेगा, ग्राम पंचायत वित्त आदि योजनाओं पर ठेकेदारी का काम तेजी से चल रहा है।
सूत्रों की माने तो इस विकास खंड क्षेत्र में कुछ चर्चित तथाकथित ठेकेदार ब्लॉक अधिकारियों को आर्थिक प्रभाव में लाकर मनमाना कार्य करा रहे है। खास मामला यह है कि इन दिनों फर्जी फर्मो के जरिए फर्जी बिल लगाकर योजना में भुगतान करा रहे है।
वहीं कुछ लोगों ने बताया कि प्रतिदिन ब्लॉक मुख्यालय पर तथाकथित ठेकेदारों की हुजूम उमड़ पड़ती है। ब्लॉक के जिम्मेदार अधिकारियों के बगल उनकी कुर्सी सजी रहती है।
उसी का फायदा उठाते हुए तथाकथित ठेकेदार ग्राम प्रधानों को किसी तरह मैनेज कर बिना काम कराए ही फर्जी फर्मो के बिलों के सहारे भुगतान करा रहे है। जो भुगतान प्रक्रिया में फर्म लगाए हैं, न दुकान है न ही उसका अता पता लगता है। फर्जी फर्मों के जरिए इस विकास खंड पर वर्षों से भुगतान जारी है। जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।