सीवियर एनीमिक महिलाओं का कराया जा रहा हैं सुरक्षित संस्थागत प्रसव

जिले में वित्तीय वर्ष 2022-23 में अप्रैल से दिसम्बर तक 1056 सीवियर एनीमिक महिलाएं चिन्हित

252 महिलाओं का कराया जा चुका है सुरक्षित संस्थागत प्रसव

1052 सीवियर एनीमिक महिलाओं को दिया गया आयरन सुक्रोज

kapilvastupost reporter

सिद्धार्थनगर। स्वास्थ्य विभाग सीवियर एनीमिक महिलाओं का सुरक्षित संस्थागत प्रसव करवा रहा है। जिले में वित्तीय वर्ष 2022-23 में अप्रैल से दिसम्बर माह तक स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से 1056 सीवियर एनीमिक महिलाएं चिन्हित की गई, जिसमें से 1052 को आयरन सुक्रोज दिया गया। इन महिलाओं में से 252 का अब तक सुरक्षित संस्थागत प्रसव भी हो चुका है।

शोहरतगढ़ कस्बे के शास्त्रीनगर की नाजमा (26) बताती हैं कि वह मार्च 2022 में गर्भवती हुई। गर्भावस्था के दौरान उन्होंने शोहरतगढ़ क्षेत्र की एएनएम संगीता चौधरी से सम्पर्क किया। एएनएम के माध्यम से वह चिकित्सकीय परामर्श के लिए माह की नौ तारीख को आयोजित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम में सीएचसी गईं। वहां उनकी हीमोग्लोबीन, यूरीन में प्रोटीन, शुगर (ब्लड शुगर), एचआईवी, सिफलिस, अल्ट्रासाउंड, ब्लड ग्रुप व पेट की जांच हुई। जांच में खून की मात्रा शरीर में पांच ग्राम मिली।

चिकित्सक ने खान-पान बेहतर करने की सलाह दी। चिकित्सक ने कैल्शियम (एक टाइम) व आयरन की गोली देकर सुबह शाम-खाने की सलाह दी। इसके अलावा खान-पान में हरी सब्जियां व डाइट बेहतर करने का सुझाव मिला। चिकित्सक के बताए अनुसार उन्होंने खान-पान को बेहतर किया। नौ माह तक भी शरीर में खून की मात्रा में कोई खास इजाफा नहीं हुआ और यह छह ग्राम तक ही पहुंच पाया।

सीएचसी चिकित्सकों की सलाह पर प्रसव के लिए वह जिला अस्पताल गईं वहां उनको आयरन सुक्रोज भी चढ़ाया गया। उन्होंने 21 दिसम्बर को सामान्य प्रसव से बच्चे को जन्म दिया। वह बताती हैं कि समय से मिले चिकित्सकीय परामर्श से सामान्य प्रसव से बच्चे को जन्म दे सकी हैं।


👍खान-पान में लापरवाही एनीमिया का कारण

सीएचसी उस्का बाजार में तैनात महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. शिल्पी रावत बताती हैं कि गर्भवती के स्वास्थ्य केंद्र पर पहला विजिट करते ही सारी प्रमुख जांच हो जानी चाहिए। उसके बाद कंडीशन के हिसाब से मंथली जांच कराना जरूरी है। शुरूआती दौर की जांच में ही सीवियर एनीमिक होने का कारण पता चल जाता है।

एनीमिया के अधिक चांस 30 हफ्ते यानी की सातवां माह पूरा होने के बाद रहता है। इसके अलावा खान-पान में लापरवाही, आयरन टैबलेट न लेना व भोजन का न पचना भी बीमारी का कारण है। भोजन न पचने से शरीर में खून नहीं बनता है और पेट में इंफेक्शन भी हो जाता है। इंफेक्शन को खत्म करने के लिए चौथे माह में एलबेंडाजोल की एक गोली जरूरी खानी चाहिए। इसका गर्भस्थ पर कोई असर नहीं पड़ता।

👍एनीमिक होने से बचाता है भरपूर डाइट

चिकित्सक बताती हैं कि भरपूर डाइट एनीमिक होने से बचाता है। इससे बचाव के लिए हरी पत्तेदार सब्जी का सेवन करें। लोहे की कढ़ाई में सब्जी व दाल बनाकर खाएं। गुड़, चना व आयरन टैबलेट खाती रहें।


👍सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर एनीमिया की जांच

मातृत्व स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला परामर्शदाता प्रमोद कुमार संत ने बताया कि एनीमिया की जांच जिला अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी, एचडब्लूसी पर होती है। इसके अलावा एएनएम बुधवार व शनिवार को आयोजित होने वाल वीएचएनडी सत्र (विलेज हेल्थ न्यूट्रीशन डे) पर भी जांच करती हैं। गर्भवती इस सुविधा का लाभ कभी भी ले सकती हैं।


स्वास्थ्य विभाग सीवियर एनीमिक महिलाओं को आयरन सुक्रोज देकर संस्थागत प्रसव करा रहा है। गर्भावस्था का पता चलते ही आशा और एएनएम की मदद से प्रसव पूर्व जांच करवानी चाहिए। जांच में जटिलताओं का पता चल जाता है और सुरक्षित प्रसव की राह आसान हो जाती है।
“डॉ. उजैर अतहर, एसीएमओ आरसीएच”

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