सही जानकारी मिली तो मरियम और फातिमा को मिला पूर्ण प्रतिरक्षण

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने परिवार को किया जागरूक तब हो सका टीकाकरण

शोहरतगढ़ क्षेत्र के बगुलहवा गांव की निवासी हैं लाभार्थी

kapilvastupost reporter

सिद्धार्थनगर।नियमित टीकाकरण की महत्ता के प्रति जागरूक न होने की वजह से बहुत से अभिभावक बच्चों का टीकाकरण नहीं कराते हैं, लेकिन जब उन्हें सही जानकारी मिलती है तो वह टीकाकरण को राजी हो जाते हैं। इस कार्य में अग्रिमपंक्ति कार्यकर्ता की अहम भूमिका होती है। शोहरतगढ़ क्षेत्र के बगुलहवा गांव के दो लाभार्थी परिवारों की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।

गांव के सालमगीर (32) बताते हैं कि सात अप्रैल 2016 को बेटी मरियम ने जन्म लिया। जन्म के बाद बच्ची के लिए टीकाकरण महत्ता की उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। गांव की आंगनबाड़ी जोहरा खातून ने उन्हें नियमित टीकाकरण के बारे में जानकारी देते हुए उसकी विशेषता बताई।

उन्होंने समझाया कि बच्चों को टीका लगने से बारह प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाव होता है। वह बताते हैं कि आंगनाबाड़ी से मिली जानकारी के बाद टीका लगवाने को तैयार हुए। गांव में सत्र लगने पर बच्ची का नियमित टीकाकरण कराते रहे। बच्ची का पांच साल में सात बार टीकाकरण कराया। बच्ची को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई।

इसी गांव के समसुद्दीन (31) बताते हैं कि 16 सितंबर 2016 को सामान्य प्रसव से घर पर ही फातिमा ने जन्म लिया। जन्म के बाद बच्ची का टीकाकरण इसकी महत्ता की जानकारी के अभाव में नहीं हो पा रहा था। आंगनबाड़ी ने घर आकर टीके की विशेषता बताया तब वह टीकाकरण कराने को तैयार हुए।

बच्ची को टीका लगने के बाद थोड़ा बुखार व दर्द की दिक्कत हुई। इस दौरान एएनएम की सलाह पर इंजेक्शन वाली जगह पर ठंडे पानी से सिकाई की गयी और कुछ समय बात दर्द गायब हो गया।

57.55 फीसदी बच्चों को लगा टीका


स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष 2022-23 में 1.07 लाख बच्चों के नियमित टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य के सापेक्ष अप्रैल से अब तक 62101 बच्चों को टीका लग सका है। यह कुल लक्ष्य के सापेक्ष 57.55 फीसदी है।

टीकाकरण के मुख्य संदेश

शोहरतगढ़ क्षेत्र के बगुलहवा गांव की एएनएम नीलम अग्रहरि बताती हैं कि नियमित टीकाकरण नवजात बच्चों को घातक रोगों से जीवन भर सुरक्षा देता है, इसलिए जन्म के तुरंत बाद टीकाकरण शुरू करना चाहिए। जन्म के समय दी गई खुराक के अतिरिक्त बच्चे के एक वर्ष होने से पहले चार बार नियमित टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य केंद्र या सत्र पर ले जाना चाहिए।

टीकाकरण के दिन बच्चे को हल्का बुखार, खांसी, जुकाम और दस्त जैसी परेशानी होने पर भी टीकाकरण अवश्य कराएं। टीका लगने के बाद बच्चे को हल्का बुखार और दर्द होने पर बिल्कुल परेशान न हो। सामान्यतया यह अपने आप खत्म हो जाता है। बुखार बने रहने पर एएनएम से दवा ले सकते हैं।

घर-घर जागरूकत करती हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जोहरा खातून बताती हैं कि गांव में शून्य से पांच वर्ष तक के सभी बच्चों को नियमित टीका लगे इसके के लिए घर-घर लोगों को जागरूक करती हैं। वह समझाती हैं कि जानलेवा बीमारी से लड़ने में टीका सहायक है। कुछ टीके से बच्चों को बुखार आ जाता है, ऐसी स्थिति में एएनएम द्वारा दी गई दवा को मां के दूध में मिलाकर पिलाने की सलाह भी देती हैं।

इन प्रमुख बीमारियों से बचाव में सहायक है टीका
खसरा ,टिटनेस ,पोलियो ,क्षय रोग ,गलाघोंटू ,काली खांसी और हेपेटाइटिस-बी

नियमित टीकाकरण के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। उदासीन परिवारों पर विशेष जोर देते हुए टीके की विशेषता बताई जाती है, ताकि कोई बच्चा टीके से वंचित न रह जाए। नियमित टीकाकरण हो जाने से बच्चों की कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि हो जाती है।

डॉ. एके आजाद, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी

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