सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्विद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर में प्रथम क्रीड़ा महोत्सव का उद्घटान कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कुलपति प्रो हरि बहादूर श्रीवास्तव ने कहा कि पढ़ाई के साथ खेल भी महत्वपूर्ण है। खेल युवाओं के व्यक्तित्व विकास में अमृतरस के समान होता है। उन्होंने कहा कि जीवनमे किसी चीज की व्यापकता के लिए उसकी शुरुआत जरूरी होती है। विश्विद्यालय में इस प्रकार की खेल के शुरुआत ही शुभ होगा। खेल विद्यर्थियों में आत्म बल उतपन्न करने का बड़ा माध्यम है। खेल के द्वारा सकारत्मकता का विकास व्यक्ति के अंदर होता है।
कुलसचिव डॉ. अमरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि खेल में खेल की भावना का होना सबसे महत्वपूर्ण होता है। यह भावना ही मानवता के विस्तार में सबसे अधिक प्रभावी होती है। खेल निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने की प्रयोगशाला है। अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. हरीश कुमार शर्मा ने कहा कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में समविदन और स्करात्मक दृष्टि का अनमोल महत्व होता है। यह अमूल्य सम्पत्ति अर्जित करने का सहज मार्ग खेल ही है।
मुख्य नियन्ता प्रो. दीपक बाबू ने कहा कि यह क्रीड़ा महोत्सव ऐतिहासिक आयोजन है। विश्विद्यालय में पहली बार आयोजित हो रही है। खेल का शुरुआत सबसे महत्व पूर्ण होता है।
कार्यक्रम को सम्बध्द महाविद्यालय के क्रीड़ा सचिव डॉ. अस्फिटी पर्ट्सप सिंह ने कहा कियह विश्विद्यालय बहुत जल्दी खेल की दुनिया मे अपना कीर्ति पहुचायेगी। निरन्तर और कठिन परिश्रम से विपरीत परिस्थिति में भी आसानी से सफलता प्राप्त किया जा सकता है।
कार्यक्रम मे वित्त अधिकारी अजय सोनकर, राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ. पूर्णेश नारायण सिंह, प्रो. सुशील तिवारी ने भी सम्बोधित किया। स्वागत भाषण डॉ. धर्मेंद्र एवं आभार डॉ. जयसिंह यादव ने किया। इसके उपरांत कुलपति द्वारा फीता काट कर एवं गुब्बारा उड़ाकर क्रीड़ा महोत्सव का विधिवत उद्घाटन किया गया।
महोत्सव के अंतर्गत शुक्रवार को क्रिकेट प्रतियोगिता एवं खो खो प्रतियोगिता का भी आयोजन हुआ। कार्यक्रम का संचालन क्रीड़ा परिषद के संयोजक डॉ अविनाश प्रताप सिंह ने किया।