विश्व ज्ञान परंपरा में नेपाल तथा भारतीय ज्ञान परंपरा का स्थान और उसके योगदान को स्थापित करने में राहुल सांस्कृत्यायन का योगदान अनुकरणीय है

कपिलवस्तुपोस्ट रिपोर्टर 

सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर के अंतरराष्ट्रीय बौद्ध केंद्र तथा लुंबिनी विश्वविद्यालय लुंबिनी नेपाल के संयुक्त तत्वाधान में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद द्वारा अनुदानित भारतीय ज्ञान परंपरा में राहुल सांस्कृत्यायन का योगदान विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वितीय दिन शुक्रवार को लुंबिनी विश्विद्यालय लुम्बिनी नेपाल में कार्यकम हुआ।

लुंबिनी विश्विद्यालय के प्रो.बसंत ने सेमिनार को संबोधित करते हुए राहुल सांकृत्यायन का साहित्य भारत की ज्ञान परंपरा और दर्शन की वास्तविक अभिव्यक्ति तथा उनके 06 बार नेपाल यात्रा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि विश्व ज्ञान परंपरा में नेपाल तथा भारतीय ज्ञान परंपरा का स्थान और उसके योगदान को स्थापित करने में अनुकरणीय योगदान दिया है।

राहुल सांस्कृत्यायन और उनका साहित्य भारत के युवा पीढ़ी के लिए अमृत के समान है। भारत के भविष्य का निर्माण और उसकी उन्नति राहुल सांकृत्यायन के साहित्य और भारतीय ज्ञान परंपरा और बौद्ध दर्शन के बीच समन्वय का भी अद्भुत संग्रह है। राहुल सांस्कृत्यायन ने बौद्ध धर्म दर्शन के माध्यम से भारतीय ज्ञान परम्परा को व्यापक रूप में अपनी पहचान विश्व पटल पर स्थापित किया है।

राहुल सांस्कृत्यायन ने भारतीय ज्ञान परंपरा को विस्तार और व्यापक स्वरूप प्रदान करने के लिए दुनिया के देशों की यात्राएं कर और भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित साहित्य का संग्रहण कर भारत की ज्ञान परंपरा को एक नई ऊंचाई प्रदान करने में विशेष रूप से संपूर्ण एशिया में बहुत योगदान दिया। भारत की ज्ञान परंपरा और बौद्ध दर्शन पर शोध करने वालो के लिए उनका साहित्य जीवन संचारिका के समान है।

लेकिन यह भी सही है कि राहुल सांस्कृत्यायन के साहित्य को भारतीय ज्ञान परंपरा में अभी वह स्थान नहीं मिला है जिनका वास्तव में वह हकदार है। राहुल सांस्कृत्यायन अहिंसा के भी बड़े उद्घोषक के रूप में पूरी दुनिया में उनकी ख्याति है। हरिसिंह गौर विश्विद्यालय के प्रो.शर्मा ने कहा कि बौद्ध नेपाल भारत को साझी विरासत तो है ही इस विरासत को पुनः स्थापित कराने में राहुल जी को तिब्बत यात्रा का महत्वपूर्ण योगदान है।

सेमिनार में लुम्बिनी विश्वविद्यालय के संयोजक गजेन्द्र गुप्ता, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध केंद्र के संयोजक प्रो. सुशील तिवारी, सह संयोजक डॉ पूर्णेश सिंह, प्रो. दिलीप मोहंता, प्रो.अंबिका दत्त शर्मा, प्रो.हरी शंकर प्रसाद, दुर्गा प्रसाद दीक्षित, आलोक कुमार, सतीश जायसवाल सहित कई प्रोफ़ेसर एवं भारत के विभिन्न राज्यों से आये 19 पेपर प्रस्तुत कर्ता शामिल रहे।

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