सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर में व्याख्यान श्रृंखला के समापन कार्यक्रम के अवसर पर शनिवार को कुलपति प्रोफेसर हरि बहादुर श्रीवास्तव ने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के सभी 55 शिक्षकों को उनके द्वारा व्याख्यान कार्यक्रम में प्रस्तुत शोध पूर्ण व्याख्यान के उपरांत प्रमाण पत्र वितरित करते हुए कहा कि शिक्षण संस्थाओं की रीढ़ शिक्षक होते हैं।
इस प्रकार के कार्यक्रमों से शिक्षकों के अंदर शोध की दृष्टि विकसित होने के साथ-साथ ज्ञानवर्धन का भी विस्तार होगा। आज के तकनीकी युग मे सभी शिक्षकों को पीपीटी तैयार करने का अभ्यास महत्वपूर्ण है। पीपीटी बहुत आकर्षक होना चाहिए। व्याख्यान में श्रोता का ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है।
शनिवार को व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत प्रति शनिवार को पांच शिक्षक ने पावर प्वाइंट के माध्यम से विविध महत्त्व पूर्ण विषयों पर व्यख्यान प्रस्तुत किया, आगे भी इस तरह के शोध दृष्टि विकसित करने हेतु एवं ज्ञान वर्धन के कार्यक्रम संचालित होते रहेंगे। अब सभी संकाय अपने अपने स्तर पर अपने शिक्षकों को आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करें। उनके अंदर और दक्षता विकसित करने के अवसर उपलब्ध कराएं।
शिक्षकों को चाहिए कि अपने ज्ञान से विद्यार्थियों को अभिसिंचित करें। विद्यार्थियों की उपलब्धि और उनको आगे बढ़ने के अवसर के आधार पर ही शिक्षकों का मूल्यांकन समाज करता है। इसलिए समाज में अपनी उपादेयता को बनाये रखना महत्वपूर्ण है। यह जिला बहुत ही पिछड़ा हुआ है इस दृष्टि से शिक्षकों को शिक्षा के क्षेत्र में अधिक परिश्रम करने जरूरत है।
आज इंडियन टेंपल एंड आर्किटेक्चर विषय पर डॉ नीता यादव ने, इंडियन टेम्पल आर्टिटेक्चर विषय पर तथा सॉलिड ऑन सलूशन ऑफ द नॉन लीनियर इक्वेशन पर डॉक्टर विनीत कुमार ने तथा रोल ऑफ जेंडर एंड एजुकेशन इन सजेस्ट सजेस्टिबिलिटी आफ एचआईवी एंड विक्टिम पर डॉक्टर हरेंद्र शर्मा ने, भारत लोकतंत्र की जननी है विषय पर डॉ अविनाश प्रताप सिंह ने तथा ओल्ड एंड न्यू टैक्स रेजीम सूटेबिलिटी चेक फॉर एम्पलाइज पर प्रोफेसर दीपक बाबू ने अपना शोधपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में व्याख्यान श्रृंखला के संयोजक प्रोफेसर सौरव ने कहां की इस व्याख्यान श्रृंखला में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों ने अनेक महत्वपूर्ण विषय पर अपना शोधपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में संबंधित शिक्षकों को एक उपलब्धि तो मिली साथ में श्रोता के रूप में उपस्थित शिक्षकों को भी बहुत लाभ हुआ होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षक को अपने विषय के साथ-साथ अन्य विषयों की भी जानकारी आवश्यक हो गई है।
ऐसे में यह कार्यक्रम भविष्य के लिए बहुत उपयोगी साबित होने वाला है। कार्यक्रम की सह संयोजिका डॉ रक्षा ने शिक्षकों का व्याख्यान देने के लिए आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि जिस प्रकार का सहयोग सभी शिक्षकों ने किया है यह सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में शैक्षिक वातावरण निर्मित करने में मील का पत्थर साबित होगा।
कुलपति प्रो. हरि बहादुर श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय ने अनुसंधान और प्रयोग के माध्यम से विश्विद्यालय को शिक्षा जगत के क्षेत्र में अनुकरणीय संस्थान के रूप में विकसित करने का जो बीड़ा उठाया है उसे हम सब मिलकर पूरा करते हुए निरंतर आगे बढ़ाते रहेंगे। कार्यक्रम में शोध पीठ की चेयर पर्सन प्रोफेसर मंजू द्विवेदी सहित विश्वविद्यालय के सभी शिक्षक उपस्थित रहे।