रमज़ान का इफ्तार इबादत, इंसानियत और भाईचारे की मिसाल – जमील सिद्दीकी

शोहरतगढ़ तहसील अंतर्गत गणेशपुर में शनिवार को रोज़ा अफ्तार का कार्यक्रम संपन्न हुवा जिसमें शोहरतगढ़ विधान सभा  क्षेत्र से हर आम और ख़ास लोग आमंत्रित थे | ग्राम प्रधान मोहनकोला अताउल्लाह मदनी के जेरे इंतजाम वाले इस इफ्तारी प्रोग्राम में सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे जहाँ रोज़ेदारों के लिए शानदार इफ्तारी परोसी गयी | 

कपिलवस्तुपोस्ट 

इस दौरान ग्राम प्रधान अताउल्लाह मदनी साहब ने कहा रमज़ान में इफ्तार करवाने का बहुत बड़ा सवाब है | रमज़ान इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना माना जाता है, जिसमें रोज़ेदार सुबह से लेकर सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं। इस दौरान इफ्तार (रोज़ा खोलने का भोजन) केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि सामाजिक समरसता, परोपकार और भाईचारे का प्रतीक भी है।

इस्लाम में इफ्तार करवाने को बड़े सवाब (पुण्य) का काम माना गया है। पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) ने कहा है कि जो व्यक्ति किसी रोज़ेदार को इफ्तार कराता है, उसे भी रोज़ा रखने के बराबर सवाब मिलता है। यह दान, परोपकार और दूसरों की सेवा की भावना को प्रोत्साहित करता है, जिससे समाज में सहयोग और सौहार्द बढ़ता है।

इफ्तार प्रोग्राम एक दुसरे को जोड़ने का माध्यम है इफ्तार के दौरान पूर्व विधानसभा प्रत्याशी जमील सिद्दीकी ने कहा आयोजन सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह समाज को जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बन जाता है।

कई जगहों पर इफ्तार का आयोजन न केवल मुसलमानों के लिए होता है, बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी इसमें शामिल होकर सौहार्द की मिसाल पेश करते हैं।

रमज़ान में कई जगह सामूहिक इफ्तार का आयोजन किया जाता है, जिससे गरीब और बेसहारा लोग भी सम्मानपूर्वक भोजन ग्रहण कर सकें। मस्जिदों, संस्थाओं और व्यक्तिगत रूप से आयोजित इफ्तार कार्यक्रम लोगों को एक साथ लाने और आपसी संबंधों को मजबूत करने का कार्य करते हैं।

बताते चलें कि रमज़ान में इफ्तार करवाना केवल धार्मिक कर्तव्य ही नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने और दया, प्रेम व करुणा का प्रसार करने का भी एक सुंदर जरिया है। यह लोगों को सेवा, दान और आपसी भाईचारे की भावना को अपनाने के लिए प्रेरित करता है, जिससे समाज में शांति और सद्भाव का वातावरण बनता है।

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