विश्व श्रवण दिवस पर विशेष काक्लियर इंप्लांट सर्जरी से मिल रही नई जिंदगी

👍राष्ट्रीय बधिरता बचाव एवं रोकथाम कार्यक्रम (एनपीपीसीडी) व आरबीएसके के जरिए चिन्हित किए जा रहे सुनने व बोलने में असमर्थ मरीज

👍4092 संभावित मरीजों ने लिया चिकित्सकीय परामर्श, 580 लोगों में बीमारी की पुष्टि

कपिलवस्तुपोस्ट रिपोर्टर 

सिद्धार्थनगर। जन्म से ही सुनने और बोलने में असमर्थ बच्चों को काक्लियर इम्प्लांट सर्जरी के जरिये नयी जिंदगी दी जा रही है। साथ ही राष्ट्रीय बधिरता बचाव एवं रोकथाम कार्यक्रम (एनपीपीसीडी) और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के जरिये जिले में इन समस्याओं के संभावित मरीज भी एनपीपीसीडी के तहत चिन्हित किए जा रहे हैं। इन मरीजों में जन्मजात गूंगे व बहरे मरीजों के अलावा दुर्घटना से श्रवण क्षमता खो चुके मरीज भी शामिल हैं। जिले में एनपीपीसीडी के तहत ऐसे 4092 संभावित मरीज मिले हैं, जिनकी जांच कराई गई। इन संभावित मरीजों में से 580 मरीजों में बीमारी की पुष्टि भी हो चुकी है।

वहीं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग व राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत शून्य से पांच वर्ष तक के जन्मजात इस बीमारी से पीडि़त 15 बच्चों की पिछले तीन सालों में काक्लियर इंप्लांट सर्जरी कराकर उन्हें नई जिंदगी दी गई है। नौगढ़ ब्लॉक क्षेत्र के साहा गांव निवासी शैलेष गुप्ता के घर 14 दिसंबर 2015 को अनुराग गुप्ता ने जन्म लिया।

जन्म के शुरूआती तीन माह तक परिवार को बच्चे की बीमारी के बारे में जानकारी नहीं हो पाई। तीन माह बाद भी बुलाने पर बच्चे की ओर से कोई हरकत न होने पर निजी अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क किया, लेकिन लाभ नहीं मिला। इसके बाद परिजनों ने निदेशालय की ओर से नामित गोरखपुर के एक निजी अस्पताल से सम्पर्क किया।

यहां चिकित्सक डॉ. राजेश यादव ने जांच के बाद परिजनों को बताया कि बच्चा सुन नहीं सकता है। न सुनने वाले बच्चे बोल भी नहीं पाते हैं। सर्जरी ही वह माध्यम है, जिससे बच्चा ठीक हो सकता है। इस सर्जरी पर लगभग 12 लाख रुपये खर्च आएंगे, लेकिन थोड़ा इतंजार करने पर शासन की ओर से भी सर्जरी का लाभ मिल सकता है।

गरीबी में जीवन बसर कर रहे शैलेष सेवा का लाभ लेने के लिए फार्म भरकर वापस घर लौट आए। यह सब प्रक्रिया जन्म के छह माह के भीतर पूरी हो गई। डेढ़ साल बाद चिकित्सकों ने गोरखपुर बुलाकर सर्जरी का पैसा मंगाने के लिए जिले के दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी एजाजुल हक खान से सम्पर्क करने की सलाह दी। यहां सम्पर्क करने पर अधिकारी ने आवेदन पत्र लिया और डेढ़ माह के भीतर सर्जरी का छह लाख रुपये शासन ने भेज दिया।

अस्पताल के खातें में पैसा पहुंचने पर अनुराग को ऑपरेशन के लिए बुलाया गया। 19 अप्रैल 2021 को अनुराग का सफल ऑपरेशन हुआ और 20 मई 2021 को कान में मशीन लगाई गई। शैलेष बताते हैं कि ऑपरेशन के बाद से वह हर सप्ताह बच्चे को स्पीच थेरैपी के लिए गोरखपुर लेकर जाते हैं। अब न सिर्फ बेटा सुन पा रहा है, बल्कि बोल भी ले रहा है। वह बताते हैं कि गरीबी में बड़ा रकम खर्च कर पाना उनके बस का नहीं था, विभाग ने बच्चे के साथ परिवार को भी नया जीवन दिया है।
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कान बहने पर यह न करें
कान में पानी न जानें दें, किसी प्रकार का तरल पदार्थ न डालें, गंदे पानी में तैरने-नहाने से बचें, अस्वच्छ वातावरण में रहने से बचें।
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बहरेपन या कम सुनने से यह हो सकती है परेशानी
डिप्रेशन, टिनिटस, चिड़चिड़ापन, असंदेह, अकेलापन, गुस्सा आना, स्मरण शक्ति और आत्मविश्वास में कमी।
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जिला अस्पताल में लें परामर्श

जिला अस्पताल के कक्ष संख्या छह में एनपीपीसीडी के तहत संभावित मरीजों का चिन्हांकन करने के लिए सितंबर 2019 से ओपीडी शुरू हुई है। इस कक्ष में ऑडियोलॉजिस्ट बृजदीप कुमार व ऑडियो मेट्रिस्ट गणेश सिंह स्क्रीनिंग करते हैं। ऑडियोलॉजिस्ट बृजदीप कुमार बताते हैं कि चिन्हांकन में ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. एके झा व डॉ. एसके शर्मा का सहयोग लिया जाता है। जांच में दवा से ठीक होने वाले मरीजों को दवा दी जाती है और शून्य से पांच वर्ष तक के जो बच्चे नहीं सुन सकते हैं उन्हें काक्लियर इंप्लांट सर्जरी के लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग रेफर कर दिया जाता है। वह बताते हैं कि सुनने व बोलने में असमर्थता बहरापन जन्मजात, अनुवांशिकीय, मार्ग दुर्घटना, अचानक सनसनाहट से भी हो सकता है, इसलिए ऐसी दिक्कत होने पर तत्काल परामर्श जरूरी है।

काक्लियर इंप्लांट सर्जरी की स्थिति

वित्तीय वर्ष            दिव्यांगजन विभाग          आरबीएसके
2020-21                03                              00
2021-22                06                              02
2022-23                01                              03
कुल                       10                               05

जिला अस्पताल में किए गए परीक्षण

वर्ष                             मिले संभावित मरीज
2019-20                        528  (सितंबर 2019 से मार्च 2020)
2020-21                         848
2021-22                       1352
2022-23                        1364 (फरवरी तक)
कुल 4092

विभाग सुनने व बोलने में अक्षम शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों की काक्लियर इंप्लांट सर्जरी कराता है। इस पर खर्च होने वाला पैसा विभाग वहन करता है। पांच वर्ष तक के बच्चों की सर्जरी सक्सेज होने के पूरे चांस रहते हैं, इसलिए बच्चों पर खास जोर है।
एजाजुल हक खान, दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी

एनसीडी कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय बधिरता बचाव एवं रोकथाम कार्यक्रम (एनपीपीसीडी) संचालित किया जा रहा है। कान की दिक्कत के संभावित मरीजों की ओपीडी भी संचालित है, ताकि लोगों की कम समय में जांच कर इलाज की सुविधा मुहैया कराया जा सके। जांच में सुनने व बोलने में असमर्थ पांच वर्ष तक के बच्चों को रेफर कर सर्जरी की सुविधा का लाभ लेने के लिए प्रेरित किया जाता है।
डॉ. एसएन त्रिपाठी, नोडल अधिकारी (एनसीडी)

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